देशभर के किसानों की वित्तीय स्थिति बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार लगातार काम कर रही है। अब इसी दिशा में एक और कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 3,880 करोड़ रुपये के पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम में बदलाव को मंजूरी दे दी। इस योजना के तहत पशुपालक किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। आपको बता दें कि पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) पशुओं में होने वाले रोगों की रोकथाम और इलाज के लिए संचालित केंद्र सरकार की एक योजना है। इस योजना का मकसद पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार करना और पशुपालन को बढ़ावा देना है। इस योजना से गांव-गांव के पशुपालक किसानों को लाभ होगा। 

सहकारी समितियों के माध्यम से वितरित होंगी दवाएं

इस योजना के पशु औषधि प्रावधान के तहत उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।’’ वैष्णव ने कहा कि पशु औषधि, जन औषधि योजना के समान होगी। इसके तहत जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाएं पीएम किसान समृद्धि केंद्रों और सहकारी समितियों के माध्यम से वितरित की जाएंगी। वैष्णव ने कहा कि पशु चिकित्सा दवाओं के पारंपरिक ज्ञान को भी पुनर्जीवित किया जाएगा और योजना के हिस्से के रूप में इस पारंपरिक ज्ञान का भी दस्तावेज तैयार किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने ‘पशु औषधि’ के प्रावधान के तहत अच्छी गुणवत्ता वाली और सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की आपूर्ति और बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए कुल बजट आवंटन से 75 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इस बदलाव के बाद अब एलएचडीसीपी के कुल तीन हिस्से हो गए हैं। इनमें राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी), पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (एलएचएंडडीसी) और पशु औषधि शामिल हैं। 

 किसानों की आय में सुधार होगा

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम का ध्यान पशुओं में खुरपका एवं मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस और त्वचा में गांठें बनने वाली लम्पी स्किन डिजीज जैसी बीमारियों की टीकाकरण के माध्यम से रोकथाम पर केंद्रित है। यह योजना पशुधन स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की पशुपालकों के घर तक आपूर्ति और जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की उपलब्धता में सुधार का भी समर्थन करती है। वैष्णव ने कहा कि नौ राज्य खुरपका एवं मुंहपका रोग (एफएमडी) से मुक्त घोषित होने के लिए तैयार हैं। इन राज्यों में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़ा दूध उत्पादक भारत के एफएमडी से मुक्त होने और एक व्यवस्थित और अच्छी तरह से संचालित टीकाकरण कार्यक्रम चलने से दूध और दूध से बने उत्पादों के निर्यात में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी और किसानों की आय में सुधार होगा।