चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की विशेष पूजा का विधान है. हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है, जो की साल 30 मार्च से होगी. 30 मार्च को रविवार है. वहीं, नवरात्रि का समापन 6 अप्रैल को रामनवमी के दिन बताया जा रहा है और इस दिन भी रविवार है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माता के आगमन-प्रस्थान के दिन से सवारी तय होती है.

इस बार शुरुआत-समापन का दिन रविवार ही है, तो माता की सवारी हाथी होगा. ऐसे में चैत्र नवरात्रि में मां हाथी पर ही आएंगी और हाथी पर ही जाएंगी. वहीं 30 मार्च से 6 अप्रैल तक 8 दिन ही हो रहे हैं. इस लिहाज से चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की हुई. तो आठ दिन की नवरात्रि और माता की हाथी की सवारी का क्या संकेत है, इस पर उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने विस्तार से बताया.

कब शुरू होगी चैत्र नवरात्रि
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च 2025 को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगी. ये अगले दिन 30 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 30 मार्च 2025 को दिन रविवार से चैत्र नवरात्रि शुरू हो होंगे.

घट स्थापना शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना करने की परंपरा है. घट स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए. इस साल चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च शाम 04 बजकर 27 मिनट से होने वाली है और समापन अगले दिन 30 मार्च दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर होगा. वहीं, कलश स्थापना 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से पहले कर लें तो शुभ रहने वाला है. वैसे 30 मार्च सुबह 6 बजकर 22 मिनट से लेकर 10 बजकर 39 तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है.

माता की सवारी दे रही शुभ संकेत
इस बार नवरात्रि का आरंभ और समापन दोनों रविवार को हो रहा है, जिससे मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी. इसी पर प्रस्थान करेंगी. हाथी पर माता का आगमन बेहद शुभ माना जाता है, जो अच्छे वर्षा चक्र, समृद्धि और खुशहाली का संकेत देता है. मान्यता है कि देवी की सवारी से आने वाले समय की स्थिति का अंदाजा लगाया जाता है, जिसमें प्रकृति, कृषि और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव शामिल होते है. इस बार हाथी पर माता के आने से पूरा साल बेहद शुभ होने वाला है.