AAP सरकार पर निशाना: 6 साल में DTC को 35,000 करोड़ का घाटा, CAG रिपोर्ट की विधानसभा में पेशी पर सवाल

दिल्ली: दिल्ली परिवहन निगम यानी DTC की हालत खस्ता है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी CAG की रिपोर्ट के अनुसार, DTC का घाटा 2015-16 के 25,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में लगभग 60,750 करोड़ रुपये हो गया है। इस घाटे का मुख्य कारण पुरानी बसें, कम बसों की संख्या और किराया न बढ़ना है। रिपोर्ट में DTC की योजनाओं की कमी और दिल्ली सरकार की अनदेखी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। यह रिपोर्ट आज नई BJP सरकार द्वारा विधानसभा में पेश की जाएगी।
CAG रिपोर्ट ने DTC की कई कमियों को उजागर किया
CAG रिपोर्ट में DTC की कई कमियों को उजागर किया गया है। सबसे बड़ी समस्या बसों की घटती संख्या है। 45% बसें पुरानी हो चुकी हैं, जिससे वे बार-बार खराब होती हैं और सेवा प्रभावित होती है। DTC अपनी बसों की संख्या बढ़ाने में भी नाकाम रहा है। सूत्रों के अनुसार, 2009 से DTC के किराए में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिल्ली सरकार ने किराया बढ़ाने के कई अनुरोधों को अनसुना कर दिया है। महिलाओं को मुफ्त बस सेवा देने से भी DTC पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। CAG ने यह भी बताया कि DTC के पास कोई ठोस बिजनेस प्लान नहीं है। इससे घाटे को कम करने और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने का कोई रोडमैप नहीं है। टूटी-फूटी बसें दिल्ली की सड़कों पर आम दृश्य हैं। यह एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है। BJP और कांग्रेस, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के 2015 के 10,000 बसें बढ़ाने के वादे का बार-बार जिक्र करते हैं।
DTC की रूट प्लानिंग की भी आलोचना
CAG रिपोर्ट में DTC की रूट प्लानिंग की भी आलोचना की गई है। 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि DTC के पास 11,000 बसों का बेड़ा होना चाहिए। हालांकि, पांच साल बाद दिल्ली कैबिनेट ने इस संख्या को घटाकर 5,500 कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 के अंत तक DTC के पास केवल 3,937 बसें थीं। इनमें से 1,770 बसें पुरानी हो चुकी थीं। लो-फ्लोर बसें 10 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं और उन्हें अगले महीने के अंत तक चरणबद्ध तरीके से हटाया जाना है।
DTC के बास 1700 से ज्यादा बसों की कमी
DTC के पास 1,740 बसों की कमी है। 2022 में 300 बसें जोड़ी गईं, लेकिन उसके बाद कोई खरीद नहीं हुई। हालांकि, 233 करोड़ रुपये उपलब्ध थे। DTC ने FAME-I योजना के तहत 49 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता भी नहीं ली। कैग ने इसके लिए DTC के फैसले और स्पेसिफिकेशन्स की कमी को जिम्मेदार ठहराया है। FAME-II के तहत 300 इलेक्ट्रिक बसों के ठेके को अंतिम रूप देने में देरी के कारण अनुबंध की अवधि 12 साल से घटकर 10 साल हो गई है।