अगर आपको भी एक पेरेंट होने के नाते ये शिकायत है कि आपका बच्‍चा किसी एक सब्‍जेक्‍ट में कमजोर है, तो आपको बता दें कि इसके कई कारण हो सकते हैं। बच्‍चों के किसी एक विषय में कमजोर होने की हर बच्‍चा अलग होता है, कोई पढ़ाई में तेज होता है तो कोई खेलकूद में एक्टिव रहता है। पढ़ाई की बात करें, तो हर बच्‍चा हर सब्‍जेक्‍ट में माहिर नहीं हो पाता है। कुछ बच्‍चे साइंस में अच्‍छे होते हैं, तो वहीं कुछ बच्‍चे मैथ्‍स अच्‍छे से समझ लेते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी क्‍या वजह है जो बच्‍चे किसी एक सब्‍जेक्‍ट में कमजोर हो जाते हैं?
इसके कुछ कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से बच्‍चे को कोई एक सब्‍जेक्‍ट मुश्किल लग सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको उन्‍हीं कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी वजह से बच्‍चों को किसी एक सब्‍जेक्‍ट को समझने में दिक्‍कत आ सकती है।

पढ़ने का तरीका
सबसे पहले तो आप ये समझिए कि हर बच्‍चे के सीखने का तरीका एक जैसा नहीं होता है। अगर आपके बच्‍चे को मैथ्‍स समझ नहीं आ रही है, तो हो सकता है कि उसके सीखने का तरीका कुछ और हो। आपको बस उस तरीके का पता लगाना है। कुछ बच्‍चे पढ़कर सीखते हैं, कुछ सुनकर तो वहीं कुछ रट्टा लगाने में माहिर होते हैं।

बोरिंग लगता है
बच्‍चे को कोई सब्‍जेक्‍ट समझ न आने का एक कारण यह भी हो सकता है कि उसे वो विषय बोरिंग लगता हो या उसमें उसकी कोई रुचि न हो। जब किसी विषय में कोई रुचि नहीं होती है, तब उसे पढ़ने में बोरियत महसूस होती है। वो इससे मोटिवेट महसूस नहीं करते हैं।

फेल होने का डर
कुछ बच्‍चे किसी सब्‍जेक्‍ट में पहले फेल हुए हों, तो इसकी वजह से उनके मन में डर बैठ सकता है। बच्‍चे के मन में ये बात बैठ जाती है कि वो उस सब्‍जेक्‍ट में अच्‍छा नहीं है और कोशिश करना ही बंद कर देता है। इस डर की वजह से बच्‍चा सुधार ही नहीं कर पाता है।

अच्‍छा परफॉर्म करने का प्रेशर
जहां पर बच्‍चे के ऊपर अच्‍छा परफॉर्म करने का प्रेशर होता है, वहां पर बच्‍चे का दिमाग कभी-कभी ठप्‍प पड़ सकता है। हो सकता है कि उसे समझ ही ना आ पाए कि उसे क्‍या करना है। प्रेशर की वजह से स्‍ट्रेस और एंग्‍जायटी हो सकती है। सीखने के बजाय बच्‍चे के अंदर दूसरों को निराश न करने का डर बैठ जाता है।

ने‍गेटिव माहौल
जब बच्‍चे को किसी एक सब्‍जेक्‍ट में फेल होने या कम नंबर लाने के पर उसे उसकी साथ पढ़ने वाले बच्‍चे चिढ़ाते हैं या उसके आसपास का माहौल नेगेटिव होता है और उसे आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट नहीं किया जाता है, तो ऐसे में बच्‍चे के मन में उस सब्‍जेक्‍ट को लेकर डर बैठ सकता है।